राज और प्रेरणा की मुलाकात पहली बार कॉलेज की लाइब्रेरी में हुई थी। राज अपनी किताबों में उलझा हुआ था, और प्रेरणा अपने दोस्तों के साथ लाइब्रेरी में हंसी-मजाक कर रही थी। जैसे ही प्रेरणा की हंसी राज के कानों में पड़ी, उसने पहली बार उसकी तरफ देखा। प्रेरणा की चमकती हुई आंखों और मासूम मुस्कान ने राज का दिल चुरा लिया।
कुछ दिन बाद, कॉलेज के एक प्रोजेक्ट ने उन्हें साथ ला दिया। राज, जो हमेशा अपने काम में डूबा रहता था, प्रेरणा की बातों और उसकी मासूमियत से प्रभावित होने लगा। दूसरी तरफ, प्रेरणा को राज की ईमानदारी और सादगी पसंद आने लगी।
धीरे-धीरे, उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। राज ने एक दिन झील के किनारे प्रेरणा से अपने दिल की बात कहने की ठानी। उस दिन सूरज ढल रहा था, और आसमान सुनहरे रंग से रंगा हुआ था। राज ने झिझकते हुए प्रेरणा का हाथ थामकर कहा, "प्रेरणा, मैं तुम्हारे बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता। क्या तुम मेरे साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहोगी?"
प्रेरणा ने कुछ पल के लिए आसमान की तरफ देखा, फिर मुस्कुराते हुए कहा, "राज, तुमने मेरा दिल कब चुरा लिया, मुझे पता ही नहीं चला।"
उस दिन झील के किनारे उनकी कहानी का नया अध्याय शुरू हुआ। दोनों ने अपने रिश्ते को सच्चे दिल से निभाने का वादा किया। उनका प्यार, जो दिल से शुरू हुआ था, अब दिल तक पहुंच चुका था।
"दिल से दिल तक" सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि दो दिलों के मिलन की यात्रा थी।