सूरजपुर गाँव का एक लड़का, अर्जुन, हमेशा से कुछ बड़ा करना चाहता था। उसके माता-पिता किसान थे और उसकी परवरिश बड़े संघर्षों के बीच हुई थी। गाँव में अच्छी शिक्षा की सुविधा नहीं थी, लेकिन अर्जुन के अंदर सीखने की भूख थी। वह घंटों तक पुराने अख़बारों और किताबों से ज्ञान हासिल करता।
पहली असफलता:
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, अर्जुन ने सोचा कि वह कोई अपना बिज़नेस शुरू करेगा। उसने थोड़ी बचत और दोस्तों से पैसे लेकर एक छोटी सी दुकान खोली। लेकिन जल्द ही उसे समझ आया कि सिर्फ दुकान खोलना ही काफ़ी नहीं होता, उसे मार्केटिंग और ग्राहकों की पसंद भी समझनी होगी।
कुछ ही महीनों में, उसे घाटा होने लगा। उसकी दुकान का सामान बिक नहीं रहा था और जो थोड़ी बहुत बिक्री होती, उससे भी ज्यादा खर्च निकल जाता। जल्द ही, वह पूरी तरह कर्ज़ में डूब गया। गाँव के लोगों ने ताने मारने शुरू कर दिए—
"तेरे बस का नहीं है बिज़नेस, नौकरी कर ले!"
"असफल लोगों के लिए बिज़नेस नहीं बना!"
अर्जुन के अंदर निराशा भरने लगी। उसने सोचा कि शायद लोगों की बात सही है, शायद वह वाकई किसी और काम के लिए बना है। लेकिन उसके अंदर की आग अभी बुझी नहीं थी।
दूसरी कोशिश:
अर्जुन ने अपनी असफलता से सीखते हुए अपनी गलतियों का विश्लेषण किया। उसने महसूस किया कि उसे बिज़नेस और मार्केटिंग की सही समझ नहीं थी। उसने ऑनलाइन और लाइब्रेरी से बिज़नेस की किताबें पढ़नी शुरू कीं।
एक दिन, उसने इंटरनेट पर डिजिटल मार्केटिंग के बारे में पढ़ा। उसे समझ आया कि अगर व्यापार को ऑनलाइन बढ़ाया जाए, तो ज्यादा ग्राहक मिल सकते हैं। उसने यूट्यूब पर वीडियो देखकर डिजिटल मार्केटिंग सीखना शुरू किया और अपने ही गाँव के किसानों के उत्पादों को ऑनलाइन बेचने का प्लान बनाया।
मेहनत रंग लाई:
अर्जुन ने एक छोटी वेबसाइट बनाई और गाँव के शुद्ध जैविक (ऑर्गेनिक) उत्पादों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया। शुरुआत में लोगों ने मज़ाक उड़ाया, लेकिन धीरे-धीरे उसके पास ऑनलाइन ऑर्डर आने लगे। वह सोशल मीडिया पर प्रचार करने लगा और धीरे-धीरे उसके ग्राहक बढ़ने लगे।
सफलता की उड़ान:
कुछ सालों की मेहनत के बाद, अर्जुन का बिज़नेस अब सिर्फ गाँव तक सीमित नहीं रहा। उसके जैविक उत्पाद अब शहरों तक पहुँचने लगे और बड़े-बड़े व्यापारी उससे संपर्क करने लगे। जो लोग कभी उसकी हंसी उड़ाते थे, वे अब उसकी कामयाबी की मिसाल देते थे।
सीख:
असफलता, सिर्फ एक पड़ाव होती है, अंत नहीं।
सीखने और खुद को सुधारने की आदत किसी को भी सफल बना सकती है।
हार मानने वाले लोग कभी जीतते नहीं, और जीतने वाले कभी हार मानते नहीं!
आज अर्जुन सिर्फ खुद के लिए ही नहीं, बल्कि गाँव के कई लोगों को रोज़गार भी दे रहा था। उसकी कहानी बताती है कि अगर इंसान सच्ची मेहनत करे, धैर्य रखे और लगातार सीखे, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।