गाँव के एक छोटे से घर में रहने वाला अर्जुन बहुत होशियार लड़का था। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा व्यापारी बने और अपने माता-पिता को गर्व महसूस कराए। लेकिन गरीबी के कारण उसे पढ़ाई के साथ-साथ खेतों में भी काम करना पड़ता था।
जब उसने कॉलेज पूरा किया, तो उसने एक छोटा बिज़नेस शुरू किया। लेकिन पहली बार में ही उसे भारी नुकसान हुआ। लोगों ने ताने मारे—"ये काम तेरे बस का नहीं। नौकरी कर ले!" अर्जुन हताश हुआ लेकिन हार नहीं मानी। उसने अपनी गलतियों से सीखा और दोबारा मेहनत शुरू की।
धीरे-धीरे उसने अपनी रणनीति बदली, नए तरीके अपनाए और लगातार मेहनत करता रहा। कुछ वर्षों बाद, वही अर्जुन जो कभी असफल हुआ था, आज एक सफल बिज़नेसमैन बन गया। अब वही लोग जो उसे ताने मारते थे, उसकी तारीफ करने लगे।
शिक्षा: असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है। जो हार नहीं मानता, वही जीतता है!