आरव और उसकी बहन कृति का रिश्ता बहुत प्यारा था। दोनों बचपन से हर रक्षा बंधन पर एक-दूसरे से वादा करते थे कि हमेशा साथ रहेंगे। कृति छोटी थी, और आरव उसे अपनी जान से ज्यादा चाहता था।
एक दिन कृति को अचानक से सिर में तेज दर्द हुआ। जब डॉक्टर ने चेकअप किया, तो पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर है। इलाज बहुत महँगा था, लेकिन आरव ने अपने सारे पैसे खर्च कर दिए।
रक्षा बंधन का दिन आया। कृति अस्पताल के बिस्तर पर थी। उसने आरव से कहा—
"भैया, इस बार राखी नहीं बाँध पाऊँगी!"
आरव ने उसकी कलाई पर खुद धागा बाँधा और कहा—
"मैं हमेशा तेरा साथ दूँगा!"
कृति मुस्कुराई, लेकिन अगले ही दिन उसकी हालत बिगड़ गई। आरव जब अस्पताल पहुँचा, तो डॉक्टर ने सिर झुका लिया।
"हम उसे नहीं बचा सके!"
आरव के हाथ में वह राखी थी, जो उसकी बहन ने कभी बाँधी थी। वह टूट चुका था, क्योंकि अब उसकी कलाई सूनी रह गई थी।