शीर्षक: ख़्वाब जो अधूरे रह गए
कहानी:
रवि एक गरीब परिवार का लड़का था, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे। उसकी माँ उसे पढ़ा-लिखाकर एक बड़ा आदमी बनाना चाहती थी। रवि भी माँ का सपना पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करता।
परिवार की हालत इतनी खराब थी कि कभी-कभी पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल हो जाती थी। फिर भी, माँ अपने हिस्से का खाना रवि को देकर कहती, "बेटा, तू खा ले, मुझे भूख नहीं है।" लेकिन रवि जानता था कि माँ झूठ बोल रही है।
रवि की मेहनत रंग लाई, और उसने कॉलेज की स्कॉलरशिप हासिल कर ली। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक उसकी माँ बीमार पड़ गई। पैसे की कमी के कारण सही इलाज नहीं हो पाया, और एक दिन वो रवि को अकेला छोड़कर चली गई।
रवि की दुनिया उजड़ गई। जिस माँ के लिए वह मेहनत कर रहा था, वह अब इस दुनिया में नहीं थी। उसके सपने, जो माँ की खुशी के लिए थे, अब अधूरे लगने लगे।
उस दिन रवि को एहसास हुआ—कुछ सपने पूरे होने से पहले ही टूट जाते हैं।