नीरज का सपना था कि वह भारतीय क्रिकेट टीम में खेले। उसके पिता एक छोटे किसान थे, लेकिन उन्होंने बेटे का हर सपना पूरा करने की कोशिश की। नीरज बचपन से ही गली-मोहल्ले में क्रिकेट खेलता था, और सभी कहते थे कि वह एक दिन बड़ा खिलाड़ी बनेगा।
एक दिन नीरज का सिलेक्शन राज्य स्तर की क्रिकेट टीम में हो गया। उसके पिता ने खुशी-खुशी अपने खेत बेच दिए, ताकि वह बड़े शहर में ट्रेनिंग कर सके।
नीरज कड़ी मेहनत करता रहा, लेकिन एक मैच के दौरान उसके पैर में गंभीर चोट लग गई। डॉक्टर ने कहा—
"अगर दोबारा क्रिकेट खेला, तो तुम्हारे पैरों पर असर पड़ सकता है!"
नीरज टूट चुका था। उसने अपने कोच से कहा—
"सर, मैं अपने पिता का सपना पूरा करना चाहता हूँ!"
लेकिन क्रिकेट का मैदान उसके लिए अब सपना बन चुका था। जब वह गाँव लौटा, तो उसके पिता की आँखों में आँसू थे।
"बेटा, सपने हमेशा पूरे नहीं होते, लेकिन मैं तुझ पर गर्व करता हूँ!"
नीरज ने अपने आँसू छिपाए, लेकिन जब वह रात को अकेले बैठता, तो टूटे हुए सपनों की परछाइयाँ उसे सोने नहीं देतीं।