राज और सुमन की कहानी कॉलेज से शुरू हुई। दोनों एक-दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे। क्लास खत्म होते ही दोनों घंटों कॉलेज कैंटीन में बैठकर अपने सपनों की बातें करते। राज एक सफल इंजीनियर बनना चाहता था, और सुमन को टीचर बनना था।
दोनों का प्यार गहराता गया, लेकिन जैसे ही घरवालों को पता चला, उन्होंने कड़ा विरोध किया। सुमन की जाति ऊँची थी, और राज दलित समाज से था। सुमन के पिता बहुत सख्त थे, उन्होंने तुरंत उसकी शादी एक बड़े घराने के लड़के से तय कर दी। सुमन ने खूब रो-रोकर मिन्नतें कीं, लेकिन उसके आँसू उसके पिता के कठोर निर्णय को नहीं बदल पाए।
राज ने उसे बहुत समझाया, कहा—
"हम भाग चलते हैं, हमें हमारे प्यार के लिए लड़ना चाहिए!"
लेकिन सुमन माँ-बाप के खिलाफ नहीं जा सकी। शादी के दिन राज मंदिर में बैठकर घंटों भगवान से प्रार्थना करता रहा कि कोई चमत्कार हो जाए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
सालों बीत गए। राज अकेला रह गया, उसने शादी नहीं की। सुमन की शादीशुदा जिंदगी खुशहाल नहीं थी। उसका पति शराबी और हिंसक था। एक दिन सुमन ने राज को फोन किया—
"राज, क्या तुम मुझसे अब भी प्यार करते हो?"
राज की आँखें नम हो गईं। उसने जवाब दिया—
"मैं आज भी उसी मोड़ पर खड़ा हूँ, जहाँ तुमने मेरा हाथ छोड़ा था!"
लेकिन अगली सुबह सुमन की आत्महत्या की खबर आई। वह अपने दर्द से हार गई थी। राज उसकी तस्वीर के सामने बैठकर घंटों रोता रहा। उसकी मोहब्बत अधूरी रह गई, लेकिन सच्ची थी।